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लेखनी कविता - ।। मैं।।


मैं 



मैं, हर किसी की समझ में कहां आती हूं 
पर जो समझ ले, उसके दिल में बस जाती हूं,
शब्दों की ज़रा कमी है मेरे पास,
अक्सर खामोशियों में सुनी जाती हूं,

दायरों में बंधना,पसंद नहीं मुझे,
बेखौफ और बेपरवाह जीए जाती हूं,
तुम लाख कोशिशें कर लो बेशक,
मैं अपनी शर्तों पर, अपनी बात रख पाती हूं,

बेशक थोड़ी सी बदतमीज हूं मैं,
मगर सही गलत में फर्क कर सकती हूं,
दम की तुम बात ही ना करना,
गर ज़िद पर आई मैं, दुनिया बदल सकती हूं।।

प्रियंका वर्मा 
18/12/24

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6 Comments

Anjali korde

23-Jan-2025 06:01 AM

👌👌👌

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RISHITA

20-Jan-2025 05:36 AM

👌👌

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madhura

07-Jan-2025 04:41 PM

v nice

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